प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इन दिनों एक्शन में हैं। सोमवार को झाबुआ एसपी को
सस्पेंड करने के बाद मंगलवार को उन्होंने यहां के कलेक्टर सोमेश मिश्रा को भी हटा दिया। इसके साथ ही अपर आयुक्त राजस्व रजनी सिंह को झाबुआ का नया कलेक्टर बनाया गया है। इस संबंध में आदेश जारी होने के बाद रजनी को इंदौर से रिलीव भी कर दिया गया है। सीएम ने दोनों ही मामलों में आदिवासी वोटबैंक को ध्यान में रखते हुए तुरंत कार्रवाई की। भ्रष्टाचार की शिकायतें तो पहले भी खूब हुईं, लेकिन आदिवासियों के बीच बनते जा रहे परसेप्शन को इस प्रशासनिक सर्जरी का बड़ा कारण माना जा रहा है। तीन उदाहरणों से समझिए प्रदेश में आदिवासियों की बढ़ती नाराजगी...
केस 1 : कलेक्टर से मिलने पहुंचे स्टूडेंट्स के पैरों में पड़ गए थे छाले
छात्रवृत्ति नहीं मिलने से परेशान स्टूडेंट्स बीते महीने 32 किमी पैदल चलकर झाबुआ कलेक्टर से मिलने पहुंचे थे। आरोप हैं कि कलेक्टर छात्रों से मिले तक नहीं, न ही किसी ने रास्ते में छात्रों को समझाने की कोशिश की। 32 किमी पैदल चलने से इन छात्रों के पैरों में छाले पड़ गए, कुछ की तबीयत खराब हुई तो उन्हें अस्पताल तक ले जाना पड़ा था। कलेक्टर का ऐसा ही रवैया जनवरी में भी सामने आया था। इससे आदिवासी स्टूडेंट्स के बीच सरकार और प्रशासन के खिलाफ गुस्सा भड़क रहा था
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