अयोध्या के राम मंदिर आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले फायर ब्रांड संत आचार्य धर्मेन्द्र के निधन पर उनकी यादें फिर ताजा हो गई। वहीं वीएचपी खेमे और संत समाज में शोक व्यक्त किया गया। उनकी पहचान फायर ब्रांड संत के रूप में रही। आचार्य धर्मेन्द्र और डॉक्टर विलास वेदांती उन स्थानों पर भाषण करते थे, जब आंदोलन को नया तेवर देना रहता था।
डॉक्टर वेदांती के करीबी साथियों में रहे आचार्य धर्मेन्द्र के बारे में कहते हैं कि वे 1984 के मंदिर आंदोलन से ही सक्रिय भूमिका में रहे। वीएचपी के अध्यक्ष और मंदिर आंदोलन के नायक रहे अशोक सिंघल के करीबी थे। वह उन पर पूरा भरोसा रखते थे। इसलिए सभी महत्वपूर्ण संगठनों में उनको रखा गया था। वीएचपी के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल के सदस्य के साथ ही वे राम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति और मंदिर संघर्ष समिति आदि संगठनों के भी सदस्य थे।
हर महत्वपूर्ण बैठक में उनकी भागीदारी अनिवार्य रहती थी। शायद ही मंदिर निर्माण को लेकर किसी सभा में उन्होंने ओजपूर्ण भाषण ना दिया हो। वेदांती ने बताया वे कांग्रेस, नेहरू और इंदिरा गांधी के प्रबल विरोधी थे। हर सभा में कांग्रेस के खिलाफ जरूर जहर उगलते थे। यहां तक कि मोदी जब पीएम बने और राम मंदिर का विवाद बना तो वे उनकी भी आलोचना करने में नहीं चूके।
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