राम का नाम लिया जाता है और दुख होता है तो भी राम का नाम लिया जाता है।
उन्होंने कहा कि जब अंतिम संस्कार में जाते हैं, तब भी यही कहते हैं कि राम नाम सत्य है। हमारे इन धर्म ग्रंथों की शिक्षा भी हम शासकीय विद्यालयों में देंगे। गीता का सार, रामायण, महाभारत के प्रसंग पढ़ाएंगे। ऐसे लोग, जो महापुरुषों का अपमान करते हैं, उनको सहन नहीं किया जाएगा। मध्यप्रदेश में इन ग्रंथों की शिक्षा देकर हम नैतिक शिक्षा बच्चों को देंगे।
सीएम चौहान ने राजधानी में विद्या भारती के सुघोष कार्यक्रम में कहा कि अब नई शिक्षा नीति में यह तय किया गया है कि मातृभाषा में शिक्षा दी जाएगी। रामायण हो, महाभारत हो, वेद हों, उपनिषद हों, श्रीमद्भगवद्गीता हो, यह हमारे अमूल्य ग्रंथ हैं और इन ग्रंथों में मनुष्य को नैतिक बनाने की मनुष्य को संपूर्ण बनाने की क्षमता है। इसलिए हमारे धर्म ग्रंथों की शिक्षा भी शासकीय विद्यालयों में भी देंगे। गीता का सार पढ़ाएंगे, रामायण, रामचरितमानस, महाभारत के प्रसंग पढ़ाएंगे। उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि आज सुघोष के साथ ही जो अद्भुत रचनाएँ बच्चों ने बनाईं, उससे मन आनंद और प्रसन्नता से भर गया।
उन्होंने कहा कि भारत को आजादी अंग्रेजों ने चांदी की तश्तरी में रखकर भेंट नहीं की थी, इसके लिए असंख्य क्रांतिवीरों ने अपनी शहादत दी। आज मन में तकलीफ होती है, आजादी के बाद लंबे कालखंड तक ऐसे शहीदों का स्मरण नहीं किया गया। मैं विद्या भारती को धन्यवाद देता हूँ, जिन्होंने आज ये कार्यक्रम आयोजित किया।उन्होंने कहा कि आजादी का श्रेय केवल एक खानदान को दिया गया, जबकि इस लड़ाई में नेताजी सुभाष चंद्र बोस, खुदीराम बोस, दुर्गा भाभी, सरदार पटेल सहित कई लोगों ने अपना योगदान दिया। शिक्षा के तीन उद्देश्य होते हैं - ज्ञान देना, कौशल देना और नागरिकता के संस्कार देना। विद्या भारती प्रारंभ से ही इन तीनों उद्देश्यों को पूरा कर रही है।
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