भोपाल। मध्यप्रदेश में जनजाति सुरक्षा मंच ने धर्मांतरण करने वाले लोगों को जनजाति वर्ग का आरक्षण का लाभ ना मिल पाए, जिसके लिए भोपाल के भेल दशहरा मैदान में आंदोलन और रैली निकालकर केंद्र सरकार और राज्य सरकार से कानून में संशोधन की मांग की है । ऐसे लोग जो जनजाति वर्ग से अपना धर्म परिवर्तन कर दूसरे धर्म में जाते हैं। ऐसे लोगों को जनजाति वर्ग का आरक्षण का लाभ नही मिलना चाहिए। जिसके चलते आज जनजाति सुरक्षा मंच ने एक बड़ा आंदोलन किया।
जनजातीय सुरक्षा मंच के क्षेत्रीय संगठन मंत्री कालू सिंह मुजाल्दा ने कहा कि धर्मांतरित व्यक्ति को जनजाति के अधिकार नहीं मिलने चाहिए। इसके चलते ही भोपाल में यह बड़ा आयोजन किया है। गांव-गांव में जाकर पंच से लेकर सांसदों और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलकर हमने समर्थन की मांग की है। जनजाति सुरक्षा मंच के प्रदेश संयोजक कैलाश निनामा ने कहा कि डीलिस्टिंग एक मार्मिक विषय है। यह सिर्फ आरक्षण से जुड़ा हुआ नहीं है। यह विषय जनजातीय समाज के स्वाभिमान का विषय है। यह जनजातीय संस्कृति के संरक्षण और अस्तित्व की चिंता से जुड़ा हुआ विषय है। यह जनजाति ही नहीं बल्कि मूल सनातन की अग्रिम पंक्ति में रहने वाले समाज का विषय है। शहरों में रहने वाले प्रबुद्धजन नहीं जानते कि संकट कितना बड़ा है। बाबूजी कार्तिक उरांव ने कांग्रेस के सांसद रहते हुए 1967 में इस विषय पर चिंता जताई थी। आज जनजातीय समाज और पूरा देश जानना चाहता है कि आखिर वह क्या वजह थी कि जो सांसद देश की 85 प्रतिशत जनसंख्या का प्रतिनिधित्व कर रहे थे उनके समर्थन के बाद भी यह बिल आज भी संसद में पेंडिंग है। इस पर संसद को पुन: विचार करके इस विधेयक को लागू करना चाहिए। हमें डीलिस्टिंग के लिए पूरे देश का समर्थन एवं सहयोग चाहिए।
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