Breaking

31 March 2023

आज हर इंसान के जीवन में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मौजूदगी है - प्रो. दुर्गेश पंत


भोपाल। मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद की ओर से आयोजित 16वें विज्ञान मंथन यात्रा का समापन शुक्रवार को हुआ। विज्ञान के प्रति स्कूली छात्रों की रुचि जाग्रत करने के उद्देश्य से आयोजित इस यात्रा के अंतिम दिन तीन प्रमुख सत्र रखे गये जिसमें देश के विभिन्न संस्थानों के विषय विशेषज्ञों ने विज्ञान के क्षेत्र में हो रहे नवाचारों पर अपने विचार रखे। इससे पहले परिषद के महानिदेशक डॉ. अनिल कोठारी ने इस वायदे के साथ विदाई ली कि वे अगले साल वृहद स्वरूप में इस यात्रा का आयोजन करेंगे। अंतिम दिन विशेष रूप से बच्चों को नई टेक्नोलॉजी जैसे आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग पर बात हुई।

दिनचर्या में शामिल है आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस

उत्तराखंड विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत ने स्टूडेंट्स को वर्तमान समय में हो रहे तकनीकी डेवलपमेंट पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस दुनिया की श्रेष्ठ तकनीकों में से एक है। यह दो शब्दों आर्टिफिशियल और इंटेलीजेंस से मिलकर बनी है। इसका अर्थ है मानव निर्मित सोच शक्ति। इस तकनीक की सहायता से ऐसा सिस्टम तैयार किया जा सकता है, जो मानव बुद्धिमत्ता यानी इंटेलीजेंस के बराबर होगा। इस तकनीक के माध्यम से अल्गोरिदम सीखने, पहचानने, समस्या-समाधान, भाषा, लाजिकल रीजनिंग, डिजिटल डेटा प्रोसेसिंग,बायोइंफार्मेटिक्‍स तथा मशीन बायोलाजी को आसानी से समझा जा सकता है। इसके अलावा यह तकनीक खुद सोचने, समझने और कार्य करने में सक्षम है। इसके बाद उन्होंने बच्चों को बताया कि आज के समय में हर एक इंसान की जीवन में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मौजूदगी है। उदाहरण के माध्यम से उन्होंने बताया कि आप किसी से मोबाइल कॉल पर जूतों और उनके ब्रांड्स के बारे में चर्चा करते हैं। इसके बाद किसी साइट या सोशल नेटवर्किंग साइट का उपयोग करते हैं तो इसमें उस प्रकार के जूते और उनके ब्रांड्स के विज्ञापन दिखाई देने शुरू हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में इंसान ने इतनी तरक्की की है उसी की तरह सोचने-समझने और अपने दिमाग का इस्तेमाल करने वाला एक चलता फिरता मशीन रोबोट आदि के बारे में सोच रहा है। जो बिल्कुल इंसानों की तरह काम करने की क्षमता रखता हो, इसी एडवांस टेक्नोलॉजी से बनने वाली मशीन को ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कहा जाता है। प्रो. पंत ने बताया कि एआई का उपयोग कई तरीके से होता है इसमें वेदर फॉरकास्टिंग भी शामिल है। हम एआई के माध्यम से ही आज के समय मे आने वाले दिन में क्या मौसम होने वाला है इसका पता कर पाते हैं। इसी के माध्यम से हम देहरादून में बैठे हुए लंदन के मौसम की जानकारी प्राप्त कर पाते हैं। एआई की मौजदूगी हमारे लिए हानिकारक भी है, क्योंकि इसकी वजह से अब लोग इंसानों की जगह कई टेक्नोलॉजी की मदद से बहुत सारे काम संभव हो जाते हैं। एआई जितना हानिकारक है उतना ही उपयोगी और महत्वपूर्ण है।


सूरज के उगने से लेकर चांद निकलने तक साइंस है

रीजनल साइंस सेंटर भोपाल के प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. साकेत सिंह कौरव ने बच्चों से रूबरू होते हुए उनके अंदर विज्ञान के प्रति दृष्टिकोण पैदा करने की कोशिश की। सबसे पहले डॉ साकेत ने बच्चों को छोटे-छोटे मनोरंजक गेम खिलाए और उसके जरिए बच्चों को सोचने के लिए मजबूर किया। बच्चों को बताया कि आपके मन में विज्ञान के प्रति रुचि तब जागेगी, जब आपके मन में किसी विषय को लेकर जिज्ञासा जागेगी। इससे आप उसके वस्तु के पीछे लगी साइंस या फिर टेक्नोलॉजी के बारे में सोचने पर मजबूर होंगे। उन्होंने कहा कि जैसे ही आपने इसके बारे में सोचना शुरू किया आप खुद से ही इसकी दुनिया में प्रवेश कर जाएंगे। डॉ. साकेत ने बताया कि सूरज के उगने से लेकर चांद के निकलने तक में भी साइंस का जुड़ाव है। जब तक आप किसी के बारे में सोचना नहीं शुरू करेंगे आप इस विज्ञान की यात्रा में शामिल नहीं हो पाएंगे।


No comments:

Post a Comment

Pages