Breaking

29 March 2023

बेटे को अस्पताल में छोड़ लापता हुई मां, पता भी फर्जी


हरदा। जन्म के बाद बेटे को छोड़ गई मां, पता निकला फर्जी, मोबाइल भी बंद; मां बनी नर्सों ने की देखभाल हरदा जिला अस्पताल में एक अजीब सा मामला सामने आया है। जिसमें एक महिला अपने बेटे के जन्म लेने के बाद सांस लेने में आ रही परेशानी के बाद एसएनसीयू वार्ड में भर्ती के कराने के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती के कराने के बाद लापता हो गई। 38 दिन तक मासूम बेटे को मंगलवार को अस्पताल प्रबंधन ने बाल कल्याण समिति के सुपुर्द कर दिया है। बाल कल्याण समिति बच्चे को देख-रेख के लिए खंडवा की इस संस्था में भेज रही है। अस्पताल प्रशासन की ओर से 38 दिन तक नवजात के मां-बाप का इंतजार किया गया, लेकिन जब वे नहीं पहुंचे तो इसकी सूचना बाल कल्याण समिति को दी गई। जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन एवं जिला प्रशासन ने बच्चे को बाल कल्याण समिति को सौंपने का निर्णय लिया।


समय से पहले हुआ था बच्चे का जन्म :- 


जिला अस्पताल के एसएनसीयू प्रभारी डॉ. दीपक दुगाया ने बताया कि गत 19 फरवरी को बच्चे को सांस लेने की तकलीफ होने पर खातेगांव से भर्ती कराया था। कमलती पिता मांगीलाल निवासी देवला तहसील खातेगांव जिला देवास की रहने वाली एक महिला ने कुछ समय जन्म लेने वाले शिशु को उपचार के लिए जिला अस्पताल लेकर आई थी। समय से पूर्व जन्म लेने के चलते बच्चे को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। इसके बाद बच्चे को एसएनसीयू वार्ड में एडमिट किया गया। जहां एक दो बार बच्चे की मां आई थी लेकिन उसके बाद से बच्चे से मिलने ना तो उसकी मां और ना ही कोई अन्य परिजन अस्पताल पंहुचे। यहां वार्ड की नर्सों और डॉक्टरों ने बच्चे की देखभाल की गई। उन्होंने बताया कि बच्चे के स्वस्थ्य होने पर उसकी मां के नोट कराए मोबाइल नंबर पर संपर्क किया गया। जो बंद आ रहा था। इसके बाद जब उसके दर्ज कराए गए गांव में पता किया तो वहां इस नाम की कोई महिला नहीं मिली। जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने तत्काल इस बात की सूचना जिला प्रशासन को दी। जहां से सयुंक्त कलेक्टर ने अस्पताल प्रबंधन को बच्चे को बाल कल्याण समिति को सौंपने के निर्देश दिए हैं। बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष नरेंद्र साकल्ले ने बताया कि डेढ़ महीने के बच्चे को देखरेख एवं संरक्षण के लिए खंडवा भेजा जा रहा है। 


3 दिन वेंटिलेटर पर रहा बालक :- 

अस्पताल प्रबंधन से मिली जानकारी के मुताबिक जब बालक को भर्ती कराया गया था। तब उसका वजन एक किलो सात सौ ग्राम था, लेकिन कुछ दिनों बाद उसकी तबीयत बिगड़ गई। उसका वजन घटकर एक किलो पांच सौ ग्राम हो गया। जिसके बाद उसे तीन दिनों तक वेंटिलेटर पर रखा गया। जिसके बाद फिर से बालक ने रिकवर किया, अब उसका वजन फिर से एक किलो सात सौ सत्तर ग्राम हो गया है।

नर्स बनी मासूम की मां :- 

वार्ड में भर्ती बच्चों की देखरेख करने वाली नर्स बच्चे की मां बनकर उसकी देखभाल कर रही थी। 38 दिन से दिन-रात उसके साए के जैसी बनी रहने वाली नर्सों को बच्चे के जाने से दुख हुआ। उन्होंने कहा कि यहां भर्ती होने वाले बच्चों के ठीक होने पर उनके मां-बाप खुशी-खुशी अपने साथ ले जाते हैं। लेकिन इस बच्चे को मां-बाप नहीं बल्कि बाल कल्याण समिति के सदस्य ले जा रहा है।


No comments:

Post a Comment

Pages