इस दौरान टीम को स्कूल में कई अनियमित्तताएं मिली। बाल संरक्षण आयोग के सदस्यों को स्कूल लाइब्रेरी एवं क्लासों में ईसाई धर्म का प्रचार प्रसार सामग्री पाई गई। वही कई खुफिया स्थानों पर स्कूल की आड़ में ईसाई धर्म का बड़ी मात्रा में सामान मिला। क्लास रूम एवं लायब्रेरी में ईसाई साहित्य एवं स्कूल में नन ट्रेनिग कैम्पस चलता पाया गया। वहीं सबसे बड़ी बात स्कूल संचालन के पास स्कूल संचालन की कोई भी अनुमति आयोग की टीम को स्कूल प्रबंधन नहीं दिखा सका । साथ ही शासन के द्वारा एग्रीकल्चर के लिए दी गई भूमि पर बड़ी मात्रा में कैंपस बनाया गया है और निरीक्षण के दौरान कई कंस्ट्रक्शन का कार्य अवैध रूप से बिना अनुमति के जारी मिला। लंबे समय से स्कूल की मान्यता परमिशन ना होना स्कूल प्रबंधन पर बड़ा सवालिया निशान खड़ा किया है।
टीम के द्वारा निरीक्षण के दौरान एसडीएम प्रखर सिंह को बुलाया गया और सभी तथ्यों एवं घटनाओं से अवगत कराया गया। जिस पर से एसडीएम डबरा प्रखर सिंह के द्वारा पंचनामा बनाकर गंभीर अनियमितता एवं लापरवाही पाए जाने को लेकर पंचनामा बनाकर पूरे प्राइमर स्कूल बिल्डिंग एवं प्रिंसिपल चेंबर सहित मेन डोर को शील्ड कर जांच कर सही और बड़ी कार्यवाही की बात कहते हुए नजर आए। स्कूल के प्रिंसिपल दिलीप नंदलाल पर मुरैना जिले में दुष्कर्म का मामला भी दर्ज हुआ था जिस की भी जांच करने की बात टीम एवं स्थानीय प्रशासन के द्वारा कही गई है। वहीं प्रिंसिपल की पढ़ाई पर भी सवालिया निशान खड़े किए गए हैं।
तीस साल पहले हुई स्थापना
. गौर करने वाली बात यह है कि1994 में स्कूल के नाम पर इस कैम्पस की स्थापना हुई थी। जब से अब तक स्कूल के द्वारा किसी भी तरह की कोई भी अनुमति नहीं ली गई है, और स्कूल में केवल परीक्षा केंद्र बनाए जाने की अनुमति होना बता जा रहा है। ऐसे में कैंपस में ग्यारह सौ बच्चो को इस स्कूल में पढ़ाया जा रहा है जो कि शिक्षा एवं शासन की कार्रवाई पर बड़ा सवालिया निशान खड़ा करता है। वहीं शिक्षा विभाग की बात करें तो उनके द्वारा अनुमति रिनुअल के लिए 12 बार नोटिस स्कूल प्रबंधन को जारी किया गया था। बावजूद उसके स्कूल प्रबंधन ने कोई भी ध्यान नहीं दिया और लगातार लापरवाही बरतता रहा।
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