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12 May 2023

भाजपा नेताओं का वन माफिया से गठजोड़


भोपाल। मध्यप्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष के.के. मिश्रा ने सरकार के संरक्षण में वन माफियाओं/ भाजपा समर्थित टिम्बर व्यापारियों, वन विभाग के अधिकारियों, राजनेताओं और पुलिस के गठजोड़ से बेखौफ होकर प्रदेश के व्यावसायिक राजधानी इंदौर सहित कई जिलों में वनों की अंधाधुंध अवैध कटाई का गंभीर आरोप लगाया हैं। 

प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय, भोपाल में आयोजित एक पत्रकार-वार्ता में मिश्रा ने कहा कि पेड़ों को एक जीवित प्राणी का दर्जा दिया गया है। एक ओर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जहां प्रतिदिन एक पौधा लगाकर वृक्षारोपण की महत्ता को प्रतिपादित कर रहे है, वहीं उक्त वर्णित माफियाओं का संयुक्त गठजोड़ उन्हें सीधी चुनौती देते हुए अंधाधुंध हरे भरे विशाल वृक्षों की अवैध कटाई कर रहा है। गत् दिनों उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने इस विषयक एक याचिका की सुनवाई करते हुए कहा था कि ऐसे ही पेड़ कटते रहे तो एक दिन रेगिस्तान बन जायगा। उच्च न्यायालय की इस तल्ख टिप्पणी के बावजूद भी यह अवैध व्यापार बदस्तूर जारी है। नियमानुसार पेड़ कांटने की अनुमति ट्री आफिसर के निर्देश पर ही दी जा सकती है, किन्तु इंदौर सहित प्रदेश के सभी स्थानों पर इस नियम की धज्जियां बिखरते हुए उक्त माफियाओं का गठबंधन सरकार और नियमों को जमींदोज कर रहा है। 

कांग्रेस जानना चाहती है कि क्या यह सब वनमंत्री की सहमति और राजनीतिक संरक्षण से हो रहा है? यदि नहीं तो वनमंत्री को यह बताना होगा कि बुरहानपुर जिले में सामने आएं अवैध जंगलों की कटाई के बाद वहां के डीएफओ श्री अनुपम शर्मा का मात्र दो माह में तबादला किसके निर्देश पर हुआ? क्या यह झूठ है कि तत्कालीन डीएओ ने यहां हुई व्यापक जंगल कटाई को लेकर लिखित में स्थानीय एसपी और कलेक्टर द्वारा असहयोग करने का आरोप लगाया था? 

मिश्रा ने यह भी गंभीर आरोप लगाया है कि पिछले बारह वर्षों में 207 किलोमीटर जंगल क्षेत्र कम हो गया है, यानि करीब इन 10-12 वर्षों में जंगल कितनी तेजी से घटे है। वर्ष 2009-10 में मध्यप्रदेश में अति सघन, सघन और खुला वन क्षेत्र 77,700 वर्ग किलो मीटर था, जो वर्ष 2021-22 में घटकर 77,493 वर्ग किलोमीटर रह गया है। जबकि पिछले चार वर्षों में प्रदेश सरकार ने सिर्फ और सिर्फ पौधारोपण के नाम पर 1510 करोड़ रूपये और इन पौधों के रख रखाव, संधारण पर करीब 90 करोड़ रूपये खर्च किए हैं। इतना पैसा फूंकने के बाद जंगलों में यदि हरियाली आई है तो क्या इन माफियाओं के हित में? मिश्रा ने यह भी कहा कि 1,19,401 हैक्टर वन भूमि को वर्ष दूसरे कामों में उपयोग कर लिया गया। 


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