पर्यटन की दृष्टि से करेंगे विकसित
कार्यक्रम में विधायक श्री विष्णु खत्री ने कहा कि भारतीय विज्ञान कई वर्षो पुराना है। ब्रिटिश काल के दौरान अंग्रेजी विज्ञान के हावी होने के कारण इसे लोग कम महत्व देते थे। उन्होंने कहा कि आज भी काल गणना कर्क रेखा के आधार पर की जाती है। काल गणना का यह तरीका अत्यंत पुराना और समृद्ध है। महाकाल मंदिर भी कर्क रेखा के सेंटर प्वाइंट में स्थापित है। उन्होंने कहा कि जल्द ही इस जगह को भी पर्यटको की दृष्टि से विकसित किया जाएगा। यहां पौधरोपण कर यहां पर सेल्फी प्वाइंट तैयार करेंगे ताकि लोग अधिक से अधिक इस जगह को घूमने आए।
हर तरह के सहयोग के लिए है साथ
कार्यक्रम में मेपकॉस्ट के महानिदेशक डॉ अनिल कोठरी ने कहा कि मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद द्वारा प्रदेश में नवाचार एवं अनुसन्धान को बढ़ावा देने हेतु भोपाल जिले के बैरसिया तहसील में भोपाल से 25 की.मी. दूर बैरसिया मार्ग पर ग्राम दुपाडिया में विस्तृत सर्वेक्षण उपरांत कर्क रेखा को चिन्हांकित किया गया है। जिस जगह पर कर्क रेखा को चिन्हित किया गया है इस क्षेत्र के स्कूली बच्चों को विज्ञान से जुड़ी हर सुविधा उपलब्ध करवाएंगे। बच्चो को मेपकॉस्ट की प्रयोगशाला का भ्रमण कराया जायेगा। इस दौरान उन्होंने मेपकॉस्ट की कार्यशैली से स्थानीय लोगों को अवगत कराते हुए कहा कि हर वर्ष 21 जून को इस स्थान पर विज्ञान से जुड़ी गतिविधि का आयोजन किया जाएगा।
ग्राम रतुआ बना कर्क रेखा का प्वाइंट
कार्यक्रम के संयोजक श्री विवेक ने बताया कि कर्क रेखा अभी तक सांची के पास दिखाई देती थी। लेकिन उसी कर्क रेखा को डीजीपीएस के माध्यम से सर्वे कर रेखा को बैरसिया के ग्राम रतुआ के पास चिन्हित किया है। इस जगह पर यह रेखा 23 डिग्री, 26 मिनट, 53 सेकंड से होकर गुजरती है। इस प्वाइंट के बनने के बाद विज्ञान और खगोलीय गणना के क्षेत्र में काम करने वाले शोधार्थियो को इसका लाभ मिलेगा।
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