Breaking

17 July 2023

20 लाख करोड़ के घोटालों पर कार्यवाही के डर से विपक्षी दल एक मंच पर


  भोपाल। वैचारिक असमानता वाले, अलग-अलग ध्येय और अलग-अलग एजेंडा को लेकर राजनीति में आए विभिन्न राजनीतिक दल एक बार फिर गठबंधन का प्रयास कर रहे हैं। इनमें से ज्यादातर दल ऐसे हैं, जिन्होंने राजनीति की शुरुआत कांग्रेस के विरोध के साथ की थी, लेकिन आज प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी की लोकप्रियता से भयभीत होकर ये कांग्रेस का ही हाथ थामने को तैयार हैं। ऐसे दल जो एक-दूसरे के विरोधी और प्रतिद्वंदी रहे हैं, आज गले मिल रहे हैं। इन परस्पर विरोधी दलों का यह गठबंधन पानी और तेल के मेल की तरह बेमेल साबित होगा। यह बात भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद श्री विष्णुदत्त शर्मा ने बेंगलुरु में विपक्षी दलों की बैठक पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कही।   


सत्ता पा कर अपना भविष्य सुरक्षित करना इनका साझा एजेंडा

प्रदेश अध्यक्ष श्री विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि एक छाते के नीचे आने की कोशिश में लगे इन नेताओं का कॉमन मिनिमम प्रोग्राम किसी भी तरह सत्ता हासिल करना और अपने तथा अपना और अपने परिवार का भविष्य सुरक्षित करना है। इन दलों की कार्यप्रणाली पर अगर नजर डाली जाए, तो इनमें से अधिकांश परिवारवादी और अलोकतांत्रिक हैं। सपा  में मुलायमसिंह के बाद उनके बेटे अखिलेश उत्तरधिकारी हैं, राजद को लालू यादव के बेटे चला रहे हैं, एनसीपी में शरद यादव की बेटी सुप्रिया सुले को उत्तराधिकारी घोषित किया जा चुका है, नेशनल कांफ्रेंस को फारुक अब्दुल्ला के बेटे उमर अब्दुल्ला संभाल रहे हैं, टीआरएस में के चंद्रशेखर राव के बाद उनके बेटे आगे आ गए हैं, डीएमके में करुणानिधि के बाद उनके बेटों का कब्जा है, टीएमसी में अभी से ममता बनर्जी के भतीजे सूत्र अपने हाथ में लेने लगे हैं। श्री शर्मा ने कहा कि इस बेमेल गठबंधन की धुरी कांग्रेस पार्टी तो पूरी तरह से परिवारवादी पार्टी है, जिस पर पं. नेहरू से लगाकर आज तक एक ही परिवार का कब्जा है। आज भी सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा के आगे कांग्रेस के दरबारी नेता देख ही नहीं पाते। श्री शर्मा ने कहा कि आज अगर ये दल एक दूसरे का हाथ थामने की कोशिश में हैं, तो उसका ये आशय नहीं है कि इन्हें देश की चिंता है। बल्कि इन सभी नेताओं को अपनी आने वाली पीढ़ियों की चिंता है।     


विरोधियों को सता रहा कानूनी एक्शन का डर

प्रदेश अध्यक्ष श्री विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि गठजोड़ की कोशिश में लगे ये सभी दल भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हुए हैं। अगर इन सभी के घोटालों को जोड़ लिया जाए तो लगभग 20 लाख करोड़ के घोटाले इन दलों ने किए हैं। अकेली कांग्रेस पार्टी ने ही 20 लाख करोड़ से अधिक घोटाले किए हैं। 1.86 लाख करोड़ का कोयला घोटाला, 1.76 लाख करोड़ का टू जी घोटाला, 70 हजार करोड़ का कॉमनवेल्थ घोटाला, 10 हजार करोड़ का मनरेगा घोटाला और हेलीकॉप्टर से लेकर पनडुब्बी खरीदी तक में इन्होंने घोटाले किए हैं। राजद के नेताओं ने इतने घोटाले किए हैं कि अदालतें इन्हें सजा दे-देकर थक गई हैं। चारा घोटाला, पशुपालन घोटाला, बाढ़ राहत घोटाला जैसे हजारों करोड़ रुपये के कई घोटाले इन्होंने किए हैं। डीएमके ने अवैध तरीके से 1.25 लाख करोड़ की संपत्ति एकत्र की है, तो टीएमसी पर 23 हजार करोड़ के घोटालों का आरोप है। इनमें रोजवैली घोटाला, शारदा घोटाला, शिक्षक भर्ती घोटाला, गो तस्करी घोटाला और कोयला तस्करी घोटाले जैसे कितने ही घोटाले शामिल हैं। एनसीपी पर करीब 70 हजार करोड़ के घोटाले के आरोप हैं। को ऑपरेटिव बैंक घोटाला, सिंचाई घोटाला, अवैध खनन घोटाले जैसे कई घोटाले इनमें शामिल हैं। आम आदमी पार्टी के मनीष सिसौदिया समेत कई मंत्री और नेता कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहे हैं। श्री शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की सरकार इन घोटालेबाजों के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही है। ऐसे में तमाम विरोधों के बावजूद एकजुट हो रहे इन विपक्षी दलों का साझी चिंता यही है कि कानूनी एक्शन से किस तरह बचा जाए।


No comments:

Post a Comment

Pages