मध्य प्रदेश में गरीबी में 15.94 प्रतिशत कमी आई है।1.36 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आए हैं। ग्रामीण, शहरी क्षेत्रों में गरीबी में कमी हे। मध्य प्रदेश की ग्रामीण क्षेत्र में गरीबों की आबादी में 20.58% की गिरावट आई है। एनएफएचएस 4 (2015-16) में यह 45.9% थी, जो एनएफएचएस-5 (2019-21)में कम होकर 25.32% तक आ गई है। गरीबी की तीव्रता भी 3.75% (47.57% से 43.82%) तक कम हो गई है और गरीबी सूचकांक 0.218 घटकर 0.111 लगभग आधा हो गया है। शहरी गरीब आबादी में 6.62% की गिरावट आई है। एनएफएचएस 4 (2015-16) में यह 13.72%थी जो एनएफएचएस-5 (2019-21)में कम होकर 7.1% तक आ गई है। शहरी गरीबी की तीव्रता 2.11% (44.62% से 42.51%) तक कम हो गई है।
गरीबों की संख्या में कमी के मामले में सबसे उल्लेखनीय सुधार अलीराजपुर, बड़वानी,खंडवा, बालाघाट, और टीकमगढ़ में हुआ है। प्रोफेसर सचिन चतुर्वेदी ने कहा कि विकास के रोडमेप के पीछे अजब गजब सजग मध्य प्रदेश है मौन क्रांति हो रही है। गरीबी कम करने की बहस 1972 से चल रही है। लेकिन 2012 से काम करने में सामने आया कि शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा में कमी के कारण गरीबी में चले जाते है, अध्ययन में यह बात सामने आई है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि रोटी कपड़ा मकान रोजगार शिक्षा स्वास्थ्य सुविधा न होना भी गरीबी है। इस कमी को दूर करने का काम किया है। लड़ली लक्ष्मी योजना लागू करने के बाद से लिंगानुपात में सुधार हुआ है। आरक्षण पुलिस भर्ती में महिलाओं को आरक्षण दिया है। महिलाओं को सशक्त बनाने लाडली बहाना योजना लाई गई है , प्रत्येक माह लाड़ली बहनों के खाते में एक हजार रुपये डाले जाते हैं।
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