Breaking

26 September 2023

मल्टीप्लेक्स नहीं, लोक कल्याण का मंदिर है जनाब

 


जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी। - रामचरितमानस के बालकांड की इस चौपाई का अर्थ हैं- जिसकी जैसी भावना होती है, उसे उसी रूप में भगवान दिखते है। कई सदी पहले गोस्वामी तुलसीदास जी की कही बातें आज भी सही है और आगे भी रहेगा। हाल ही में नए संसद भवन में चले विशेष सत्र को लेकर हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा है। वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को यह मोदी का मल्टीप्लेक्स दिख रहा है।


जबकि, महज चार दिन के कार्यकाल में जिस प्रकार से इस नए संसद में लोक मंगल की कामना से सबके विकास के लिए काम किया गया है, उसके बाद लोग इसे लोक कल्याण का मंदिर मानते हैं। भारतीय लोकतंत्र का सबसे बड़ा मंदिर। तभी तो इस मंदिर में जाते समय सभी सांसदों के हाथों में फूल-प्रसाद के रूप में संविधान की प्रति दी गई। पहली पूजा के रूप में नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023 को दोनों सदनों से सरकार ने पारित कराया।

पूरा देश यह जानता है कि प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास को श्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद ही रेसकोर्ड रोड की बजाय लोक कल्याण मार्ग कर दिया था। नए संसद भवन में भी पहली पूजा के रूप में केंद्र सरकार ने वेदोक्त सूत्र को आत्मसात किया है, यत्र नार्यस्ते पूजयन्ते रमंते तत्र देवता। इसी सूत्र के आधार पर पहला बड़ा कदम देश की तमाम महिलाओं को पहले से अधिक सशक्त करना, उन्हें संवैधानिक रूप से और अधिक अधिकार देने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया।


ऐसे में यदि जयराम रमेश जैसे कांग्रेस नेता, जो केंद्र सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं, को संसद भवन भी मल्टीप्लेक्स लगता है, तो समझा जा सकता है कि कांग्रेस की नजर में सबकुछ बाजार में ही है। बाजार के हिसाब से ही इन कांग्रेसियों का आचार-व्यवहार तय होता है।

No comments:

Post a Comment

Pages