भोपाल। राजभाषा हिंदी को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध मध्यप्रदेश सरकार ने उच्च शिक्षा में हिंदी के प्रयोग को प्रमुखता दी है। चिकित्सक और इंजीनियर बनने का सपना देखने वाले हिंदी माध्यम के बच्चे भी अब डॉक्टर इंजीनियर बन सकते हैं। प्रदेश सरकार का मानना है कि बच्चों के भविष्य में भाषा को बाधा नहीं बनने दिया जाएगा। शिक्षा के सभी को समान अवसर मिलने चाहिए, इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए मध्यप्रदेश में चिकित्सा और इंजीनियर की शिक्षा हिंदी में भी कराई जा रही है।
प्रदेश सरकार ने किया भेदभाव खत्म
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हिंदी में उच्च शिक्षा की पढ़ाई वाले ऐतिहासिक कदम पर अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा था कि हिंदी माध्यम के बच्चों को अंग्रेजी जितनी प्रमुखता नहीं दी जाती थी, जबकि निम्न तबके से आने वाले यह बच्चे शुरूआती पढ़ाई सरकारी या हिंदी माध्यम से करते थे। उच्च शिक्षा जैसे डॉक्टर और इंजीनियर बनने की शिक्षा में अंग्रेजी माध्यम वाले बच्चों को प्रमुखता दी जाती थी। सरकार ने इस भेदभाव को पूरी तरह खत्म कर दिया है, अब हिंदी माध्यम के बच्चे भी हिंदी में चिकित्सक और इंजीनियर बनने की शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी वर्ग के बच्चे को यह महसूस न हो कि उनकी सामर्थ्य किसी अन्य से कम है, आगे बढ़़ने के सभी को समान अवसर मिलने चाहिए। मातृभाषा में पढ़ाई करके चिकित्सक और इंजीनियर बनने वाले इन छात्रों में गजब का आत्मविश्वास होगा।
हिंदी करेगी सपने साकार
14 सितंबर को हिंदी दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने संदेश में कहा है कि विशिष्ट और अप्रतिम गर्व के पर्याय "राष्ट्रीय हिन्दी दिवस" पर आप सभी को शुभकामनाएं! मातृभाषा उन्नति का सशक्त आधार है। मेरा यह विश्वास है कि अपनी भाषा में व्यक्ति अपने विचारों को श्रेष्ठ ढंग से अभिव्यक्त कर सकता है। अतः अंग्रेजी बच्चों के सपनों की राह में कोई बाधा न बन सके, इसलिए हमने मध्यप्रदेश में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई की व्यवस्था भी हिन्दी में प्रारंभ करवा दी है। मेरे बेटे-बेटियों तुम बड़े सपने देखो और उसे साकार करो। मैं और मेरी शुभकामनाएं सदैव तुम्हारे साथ हैं।
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