राजस्थान के CM अशोक गहलोत सियासी जादूगर माने जाते हैं। राजनीति में आने से पहले वे अपने पिता के साथ जादू दिखाया करते थे। इन दिनों सियासी गलियारे में फिर से उनकी जादूगरी की चर्चा हो रही है। उनके शिकार बने हैं सचिन पायलट। वही पायलट जिसे गहलोत पहले भी 2 बार अपने जादू से चित कर चुके हैं।
दरअसल गहलोत ने भी दिल्ली में आलाकमान से कहा था कि उन्हें जो जिम्मेदारी दी जाएगी, उसका पालन करेंगे, लेकिन सियासी भीतरखाने में कुछ और ही खिचड़ी पक रही थी। गहलोत गुट के विधायकों ने 25 सितंबर को होने वाली विधायक दल की बैठक का बहिष्कार कर दिया। इतना ही नहीं पायलट के विरोध में गहलोत गुट के 80 विधायकों ने इस्तीफा भी सौंप दिया।
इसे गहलोत की सियासी जादूगरी से जोड़कर देखा जा रहा है। कहा जा रहा है कि गहलोत को रोकना आलाकमान के लिए आसान नहीं होगा...
11 जुलाई 2020 की बात है। कांग्रेस के नाराज नेता सचिन पायलट 18 विधायकों के साथ हरियाणा के एक होटल में जा बैठे। 12 जुलाई को खबर फैली कि राजस्थान में गहलोत सरकार अल्पमत में आ गई है। इसी दौरान पायलट के ऑफिशियल वॉट्सऐप ग्रुप से सर्कुलेट हुए मैसेज में दावा किया जाता है कि हमारे पास कांग्रेस के 30 और 3 निर्दलीय विधायक हैं।
फिर क्या था, राजस्थान में भी मध्य प्रदेश की तरह ऑपरेशन लोटस की चर्चा होने लगी।
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