भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टैक्नोलाजी (मैनिट) में आयोजित आठवें इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टीवल के शुभारंभ समारोह के बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने मेगा साइंस एंड टैक्नोलॉजी एग्जीबिशन के अंतर्गत म.प्र.विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद्(मेपकॉस्ट) द्वारा स्टॉल और प्रदर्शनी का अवलोकन किया। यहां उन्होंने डिंडोरी जिले की अगरिया जनजाति द्वारा लोहा तैयार करने की वैज्ञानिक प्रक्रिया का दिलचस्पी लेकर अवलोकन किया। उन्होंने डेमो के बाद स्वयं धौंकनी को चलाकर देखा।
अगरिया जनजाति जंग न लगने वाला लोहा बनाने के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। इनका बनाया लोहा नरम होता है। इसका पुराने समय में गोल आकार की तलवारें बनाने में उपयोग किया जाता था। दुनिया भर में लोहे के बाजार पर भारत के वर्चस्व का कारण अगरिया जनजाति की लौह कारीगरी में दक्षता है। यह जनजाति मंडला,बालाघाट और सीधी जिलों में रहती है। अगरिया लोग भट्टी में चारकोल अयस्क को समान मात्रा में मिलाते हैं। धौंकनी की एक जोड़ी द्वारा विस्फोट किया जाता है। बांस की नलियों की जरिये मिश्रण को भट्टी तक पहुंचाया जाता है। जैसे ही धातु मल का प्रवाह बंद हो जाता है। यह माना जाता है कि प्रक्रिया पूरी हो गई है। ऐतिहासिक जानकारी के अनुसार दिल्ली के प्रसिद्ध लौह स्तम्भ के निर्माण में अगरिया जनजाति की अहम भूमिका रही है। केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ जितेन्द्र सिंह ने अगरिया समाज के लोगों द्वारा लोहा बनाने की परम्परागत वैज्ञानिक विधि का अवलोकन करने के साथ स्वयं धौंकनी को चलाकर भी देखा।
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