भोपाल। मप्र में इस साल विधानसभा के चुनाव होने हैं। चुनावी साल में कमलनाथ का पब्लिक इंटरेक्शन अंदाज भी बदल रहा है। चार दशक तक राष्ट्रीय राजनीति में रहे कमलनाथ अब स्थानीय मुद्दों को प्रमुखता से उठा रहे हैं। क्षेत्रीय हिसाब से कमलनाथ ने जनता से जुड़ने के लिए अभिवादन का तरीका भी बदला है। शुक्रवार को टीकमगढ़ दौरे में कमलनाथ ने भाषण की शुरुआत में ठेठ बुंदेली अंदाज में कहा- सबई जनन खौं हमाई राम-राम पौंचे। नाथ के इस अभिवादन के अंदाज को देखकर खूब तालियां बजीं। पीसीसी चीफ कमलनाथ के बदले हुए अंदाज को लेकर यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ विक्रांत भूरिया का कहना है कि, मप्र देश का दिल कहलाता है। मप्र के इस बड़े दिल में भी कई परंपराएं, तीज-त्योहार, भाषाएं, संस्कृति भरी पड़ी हुई हैं। आदिवासी अंचल में जय जोहार कहकर अभिवादन करते हैं। जबकि नर्मदा किनारे बसे इलाकों निमाड, जबलपुर, नर्मदापुरम सहित कई इलाकों में लोग "नर्मदे हर" कहकर अभिवादन करते हैं... वहीं ग्वालियर, चंबल इलाके में "जय माई की"... तो बुन्देलखंड में राम-राम कहकर लोग अभिवादन करते हैं। ठेठ बुन्देली परंपरा में लोग "राम-राम पोंचै जू" कहते हैं। यह बहुत बड़ी बात है कि कमलनाथ जी जीने इस बात को आत्मसात किया है। और इस बात को लेकर आम लोगों के बीच में वह जा रहे हैं... जिससे आगामी समय में एक बहुत बड़ा बदलाव भी देखने को मिलेगा।
21 January 2023

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चुनावी साल में अंदाज बदलने में जुटे कमलनाथ
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MP24X7...यानी समय, सत्ता और समाज के बनाए हुए नियम के खिलाफ जाने का मतलब है। सही मायनों में सुधारवाद का वह पथ या रास्ता है। जो अंतिम माना जाता है, लेकिन हम इसे शुरुआत के रूप में ले रहे हैं। सार्थक शुरुआत कितनी कारगर साबित होगी? यह तो भविष्य तय करेगा। फिर भी हम ब्रह्मपथ पर चल पड़े हैं, क्योंकि यह अंतिम पथ नहीं है। सुधारवाद की दिशा में एक छोटा कदम है।.
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