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10 January 2023

अब जातियों के भरोसे कांग्रेस की चुनावी तैयारियां

 अजा कार्यकर्ताओं का प्रदेश स्तरीय सम्मेलन

भोपाल। 2023 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों में कांग्रेस पार्टी जुट गई है। कांग्रेस पार्टी का आज अनुसूचित जाति का प्रदेश स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन किया गया। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में अनुसूचितजाति विभाग के कार्यकर्ताओं का सम्मेलन में प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ, फूल सिंह बरैया, प्रदीप अहिरवार, पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा, विजयलक्ष्मी साधो, कमलेश्वर पटेल के साथ-साथ कई सारे पदाधिकारी और कार्यकर्ता शामिल हुए।
चुनाव से पहले अनुसूचित जाति विभाग के कार्यकर्ताओं को कमलनाथ ने संबोधित करते हुए कहा कि, जब बाबासाहेब अम्बेडकर को संविधान बनाने की जिम्मेदारी दी गई तब उनके सामने ये चुनौती थी उन्हें ऐसे देश का संविधान बनाना था जो हाल ही में आजाद हुआ था। इतनी, जाति, धर्म, भाषा,त्योहार वाला कोई देश नहीं है। बाबासाहेब ने ऐसा संविधान बनाया जिसे कई अफ्रीकी देशों ने कॉपी की। केवल बाबासाहेब थे जो इस देश को समझते थे। उन्होंने तो अच्छा संविधान बना दिया लेकिन अगर ये गलत हाथों में चला गया तो क्या होगा? हम 10 साल पहले तो नहीं कहते थे संविधान रक्षक। आज संविधान बचाने की चुनौती है। इन्हीं 150 सीटों पर एससी, एसटी 10% हैं, 5% हैं लेकिन निर्णायक हैं। 150 सीटें हैं एमपी में जो हम अनुसूचित जाति और जनजाति के बगैर नहीं जीत सकते। उन्होंने कहा कि, अध्ययन कीजिये, हमारी जो छोटी-छोटी संख्या में अनुसूचित जाति की जातियां हैं। लेकिन हमारे यहां डेहरिया, कोली, कटिया समाज व बिना चुनाव नहीं जीता जा सकता। छिंदवाड़ा में डेहरियासमाज निर्णायक है। कोली समाज का प्रतिनिधिमंडल मिला था ग्वालियर चम्बल में 34 सीटें हैं। उन्होंने कहा था कि कोली समाज के बिना कौन सी सीट जीतते हैं। हम कोली समाज के बारे में नहीं सोचते। हम उपजातियों के बारे में सोचें, इनके समाज से कोई स्वतंत्र लड़ता है तो 4-5 हजार वोट ले जाते हैं। हम सोचते हैं कि ये हमारा विरोधी है लेकिन ये सब भूलना होगा। भाजपा को बना बनाया संगठन मिल गया। जब राजीव गांधी पंचायती राज का कानून लाये। तब बीजेपी के पास बूथ पर बैठने वाले लोग नहीं मिलते थे। लेकिन पंचायती राज के बाद बीजेपी को संगठन मिल गया। बीजेपी के पास एमपी में पैसा, पुलिस और प्रशासन ही बचा है। छोटी उपजातियों को साथ लाना आपका काम है। संविधान रक्षक कागजों में
और लेटरहेड पर न बनें। ये लेटरहेड और रबर्स्टम्प का सिस्टम बदलना होगा। बहुत से लोग टिकट मांगने आते हैं और वे खुद का गांव जीत नहीं पाते। हमें काम करने वाले जमीनी लोगों को जोड़ना होगा।

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