अब तक सिर्फ राज्य सरकार की तरफ से आश्वासन ही दिया गया है। लिखित में कोई भी भरोसा सरकार की तरफ से नहीं मिला है। इसलिए राजधानी में अतिथि शिक्षक बड़ी संख्या में शामिल होकर धरना दे रहे हैं। अतिथि शिक्षक संघ के अध्यक्ष का कहना है कि मध्यप्रदेश में पिछले कई वर्षों से अतिथि शिक्षक सेवाएं दे रहे हैं। सरकार ने वादा किया था कि अतिथि शिक्षकों को नियमित किया जाएगा लेकिन अब तक इसकी कवायद पूरी नहीं हुई है। अतिथि शिक्षक ने तो यहां तक चेतावनी दी कि यदि सरकार सुनवाई नहीं करती है तो विपक्ष या तीसरे विकल्प की तरफ अतिथि शिक्षकों का समर्थन रहेगा। जिस तरह से साल 2018 में कांग्रेस ने किसान कर्ज माफी के लिए लेकर आया था। उसी तरीके से अतिथि शिक्षकों को भी
नियमित करती नहीं तो अतिथि शिक्षक भी चुनावी मैदान में खड़े हो जाएंगे।
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