भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने में अभी 8 महीने का समय बचा है। इससे पहले ही भाजपा-कांग्रेस नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। बीते कुछ दिनों से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हर दिन पीसीसी चीफ पर आरोप लगा रहे हैं और उनके आरोपों का कमलनाथ जबाव दे रहे हैं। इसी कड़ी में अब पुलिस आरक्षक भर्ती में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण न दिए जाने को लेकर कांग्रेस नेता व पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल ने मप्र सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है।
बता दें कि मप्र हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने पुलिस आरक्षक भर्ती 2020-21 की अंतिम भर्ती सूची पर रोक लगा दी है। अदालत ने सरकार से कहा है कि न्यायालय ने कहा है कि ओबीसी वर्ग को 14% रिजर्वेशन के साथ पुन: सूची तैयार की जाए। हाईकोर्ट के इस निर्णय पर कांग्रेस विधायक ने कहा कि कमलनाथ सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया था और उसी के हिसाब से 6000 कांस्टेबल की भर्ती के लिए प्रक्रिया चल रही थी। लेकिन मप्र सरकार ने जानबूझकर कोर्ट में सही ढंग से पक्ष नहीं रखा जिसके कारण न्यायालय का इस तरह का आदेश आया है।
ओबीसी का कभी हितैषी नहीं रहा सत्तारूढ दल
पटेल ने मप्र की शिवराज सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि सत्तारूढ़ दल ओबीसी वर्ग का कभी भी हितैषी नहीं रहा। उन्होंने पुरानी बातों को याद करते हुए कहा कि जब देश में मंडल कमीशन लागू किया जा रहा था तब भाजपा ने ही आरक्षण विरोधी आंदोलन को हवा दी थी। मध्यप्रदेश में जब दिग्विजय सिंह सरकार ने 14 प्रतिशत आरक्षण लागू किया तब भी भाजपा ने उसका विरोध किया था। जब कमलनाथ सरकार ने 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण लागू किया तो भारतीय जनता पार्टी पिछले दरवाजे से इसे खत्म कराने का षड्यंत्र रच रही है।
27% रिजर्वेशन ओबीसी का संवैधानिक अधिकार
पूर्व मंत्री ने कहा कि 27% रिजर्वेशन ओबीसी का संवैधानिक अधिकार है। अगर शिवराज सिंह चौहान सरकार ने इस बारे में विधि सम्मत कार्यवाही की होती और न्यायालय के सामने सभी साक्ष्य रखे होते तो न्यायालय यह फैसला नहीं देता कि चयनित अभ्यर्थियों की सूची 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण की जगह 14 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण के साथ निकाली जाए। माननीय न्यायालय ने 4 सप्ताह में सरकार से अपना पक्ष रखने के लिए कहा है। अगर सरकार की नियत पिछड़ा वर्ग विरोधी नहीं होगी तो वह अपने तर्कों से न्यायालय को समझाने में सक्षम होगी।
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