बैतूल। आज कैंसर डे पर बैतूल में एक अनोखा नजारा देखने को मिला जहां इस जान लेवा रोग पर विजय हासिल कर लोगों को इस रोग से मुक्त करने के लिए एक समाज सेवी धरने पर बैठ गया। आपको बता दें कि समाज सेवी हेमंत चन्द्र बबलू दुबे बैतूल की एक ऐसी शख्सियत है जिन्होंने अपने दम पर कैंसर जैसे रोग को मात देकर लोगों के लिए एक मिसाल पेश की है। बबलू का ये मानना है कि, इस रोग को उतपन्न करने वाले संसाधन इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं। जगह जगह पॉलीथिन के ढेर, तम्बाकू के उत्पाद इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं कुछ हद तक शासन की कार्य योजनाएं भी इसके लिए जिम्मेदार है। क्योंकि पॉलीथिन पर प्रतिबंध लगने के बाद भी आज हर तरफ ये जान लेवा पन्नियां देखी जा सकती हैं। तम्बाकू और प्लास्टिक जनित सामग्रियों पर रोक लगाने में शासन प्रशासन नाकाम साबित हो रहा है। पिछले कई सालों से यह समाज सेवी रोजाना शहर के चिन्हित किये गए क्षेत्र में प्लास्टिक पन्नियों की सफाई में अपना योगदान दे रहा है। ताकि इन पन्नियों को खाकर जानवर असमय मौत के मुंह मे ना जा पाएं। बबलू का कहना है कि, यदि शासन प्रशासन सख्ती से इस पर रोक लगाए तो काफी हद तक कैंसर जैसी जान लेवा बीमारी को रोका जा सकता है। यही वजह है कि आज कैंसर दे पर वे अपने शहर वासियों के साथ कैंसर रोग के खिलाफ धरने पर बैठे हैं
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04 February 2023

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कैंसर के खिलाफ धरने पर बैठे लोग
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MP24X7...यानी समय, सत्ता और समाज के बनाए हुए नियम के खिलाफ जाने का मतलब है। सही मायनों में सुधारवाद का वह पथ या रास्ता है। जो अंतिम माना जाता है, लेकिन हम इसे शुरुआत के रूप में ले रहे हैं। सार्थक शुरुआत कितनी कारगर साबित होगी? यह तो भविष्य तय करेगा। फिर भी हम ब्रह्मपथ पर चल पड़े हैं, क्योंकि यह अंतिम पथ नहीं है। सुधारवाद की दिशा में एक छोटा कदम है।.
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