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21 April 2023

चार वर्ष की बालिका के साथ बलात्कार करने वाले अभियुक्त को मृत्युदण्ड


  खंडवा  -
चार वर्ष की मासुम बालिका के साथ बलात्कार और फिर उसकी हत्या का प्रयास करने के मामले में आज विशेष न्यायालय खण्डवा श्रीमती प्राची पटेल द्वारा अभियुक्त राजकुमार उर्फ राजाराम पिता गंगाराम, उम्र 20 वर्ष निवासी खालवा को धारा 6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के तहत मृत्यु दंड से दण्डित किया गया एवं धारा 363, 450, 201 भादवि में 107-07 वर्ष के कठोर कारावास व धारा 307 भादवि में आजीवन कारावास एवं 2000-2000/- रूपये अर्थदण्ड कुल 8000/- रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया। यह संगीन घटना दिनांक 30-31/10/2022 की है। पीडिता जो घटना के पांच दिन पूर्व दिनांक 25.10.2022 को ममेरी बहन के साथ ग्राम जसवाडी आयी थी, घटना वाली रात अभियुक्त उसे खेत में बने टप्पर के अंदर से उठाकर ले गया और उसके साथ बलात्कार कर हत्या करने के प्रयास में उसका गला दबाया था तथा उसे मरा समझकर आम के बगीचे में फेंक दिया था। अभियोजन की ओर से मामले की पैरवी जिला लोक अभियोजन अधिकारी श्री चन्द्रशेखर हुक्मलवार द्वारा किया गया।


अभियोजन मीडिया सेल प्रभारी मो. जाहिद खान द्वारा बताया गया कि, अभियोजन घटना अनुसार फरियादी ने पुलिस थाना कोतवाली में दिनांक 31.10.2022 को रिपोर्ट दर्ज करायी थी कि, ग्राम जसवाडी राजपुत ढाबे के पीछे वह परिवार के साथ खेत में टप्पर बनाकर रहता था, उसके भतीजे की लड़की चार वर्ष उसके घर पर उसकी बड़ी पुत्री के साथ आयी थी, घटना वाली रात फरियादी और उसकी पत्नी टप्पर के बाहर सो रहे थे, टप्पर के अंदर उसका 14 वर्ष का पुत्र एवं पीडिता सो रहे थे, सुबह 5 बजे उसकी पत्नी टप्पर के अंदर गई और पीडिता वहां पर नहीं थी तब उन्होंने आसपास तलाश की।


फरियादी ने यह बताया था कि घटना वाली रात राजपुत ढाबे पर काम करने वाले राजकुमार उसके टप्पर पर आया था और खटिया मांगकर टप्पर के पास सो गया था, पीडिता के नहीं मिलने पर जब उसने अभियुक्त राजकुमार को देखा तब खटिया पर वह नहीं था, ढाबे पर राजकुमार के बारे में पुछताछ करने पर ढाबे के मालिक राजु चौहान ने यह बताया कि अभियुक्त राजकुमार घटना वाले दिन शाम के 7 बजे ढांबे से आधे दिन की छुट्टी लेकर और आधे दिन का वेतन लेकर गया है, जो रात 11 बजे ढांबा बंद होने तक वापस नहीं आया। पीडिता के गुम होने की सूचना पुलिस थाने में दर्ज होने के बाद शंका के आधार पर पुलिस ने अभियुक्त राजकुमार की तलाश की, जो शाम के लगभग 6 बजे रामनगर स्थित कलाली के पास मिला था जिसे पुलिस ने अभिरक्षा में लेकर पीडिता के बारे में पुछताछ की। अभियुक्त राजकुमार ने पुलिस को यह बताया कि वह फरियादी की खटिया लेकर टप्पर के पास लेट गया था और फरियादी और उसके परिवार के सोने का इंतजार कर रहा था, रात करीबन 2 बजे वह उठकर टप्पर के अंदर गया। गहरी नींद में सो रही पीडिता को उठाकर टप्पर से कुछ दुरी पर गन्ने के खेत में ले गया, पीडिता के नीचे के कपडे सरकाकर उसके साथ बलात्कार किया, जब पीडिता रोने लगी तो उसे जान से मारने के लिये गला दबाया, पीडिता बेहोश हो गई तब उसे मरा समझ कर गन्ने के खेत से दूर आम के बगीचे में फैक दिया और वापस ढांबे पर स्थित स्टॉप क्वाटर में आया, कपडे बदलकर वहां से निकल गया, अभियुक्त राजकुमार के बताये अनुसार पुलिस ने तत्परता से पीडिता को अर्धबेहोशी हालत में आम के बगीचे से दस्तयाब किया और उसकी हालत को देखते हुये उपचार हेतु पहले जिला चिकित्सालय और बाद में बाम्बे अस्पताल इंदौर भेजा।अभियुक्त की चप्पल, पर्स घटनास्थल पर पाये गये थे, जिसके संबंध में अभियुक्त ने यह बताया था कि जल्दबाजी में घटनास्थल आम के बगीचे में छुट गये थे। पुलिस ने जब पीडिता को आम के बगीचे से दस्तयाब किया तब अभियुक्त का पर्स जिसके अंदर उसका आधार कार्ड, 130 रूपये नगद एवं चप्पल भी देखी गयी थी, जिसे बाद में जप्त किया था। अभियुक्त ने पीडिता का हेरम एवं स्वयं के कपडे ग्राम टिटिया जोशी पेट्रोल पंप के आगे झाडियों में फैक दिया था, उसे भी पुलिस द्वारा बाद में अभियुक्त के बताने पर जप्त किया गया। पीडिता को पहुंची शारिरीक विकृतिः-


पीडिता का उपचार करने वाले चिकित्सक का यह मत था कि पीडिता घटना के बाद से सहमी और डरी हुई है वह किसी से बात नहीं करती है। चिकित्सक ने यह भी बताया कि पीडिता को चलने व बैठने में दिक्कत थी, उसके एम.आई.आर. स्केन में ब्रेन के उस भाग जिसमें लेन्टीफार न्युकेलस में सुजन थी जो ऑक्सीजन की कमी के कारण आयी प्रतीत होती थी और एम.आई.आर. में कुल्हे की हड्डी में सुजन भी पायी गई थी, चिकित्सक का यह मत था कि पीडिता को पहुंची यह चोट गिरने या फेंकने से हो सकती है और यह चोट स्थायी या अस्थायी विकृति हो सकती है।


डी.एन.ए. साक्ष्य से मामला साबित माना गयाः-


अभियुक्त राजकुमार को पुलिस ने शंका के आधार पर अभिरक्षा में लिया था, स्वयं पीडिता घटना के बाद अत्यन्त डरी-सहमी हुई थी, जो समान आयु के बच्चों की तरह व्यवहार, आचरण ओर बातचीत नहीं कर रही थी एवं घटना मध्य रात्री की थी पीडिता गहरी नीद में थी, ऐसे में अभियुक्त की पहचान पीडिता द्वारा की जाना लगभग असंभव था। अभियुक्त के बताये अनुसार पीडिता का दस्तयाब होना एवं बलात्कार वाले स्थान गन्ने के खेत एवं पीडिता को फैकने वाले स्थान आम के बगीचे से भौतिक साक्ष्य का प्राप्त होने पर पुलिस ने तत्परता से अभियुक्त का रक्त नमूना लेकर डी.एन.ए. जांच हेतु भेजा था। न्यायालय में चालान प्रस्तुत होने के पूर्व डी.एन.ए. रिपोर्ट से मामले की पुष्टि हो गई थी, अभियुक्त को दोषी साबित करने के लिये यह महत्वपूर्ण साक्ष्य साबित रहीं।


चार माह में आया फैसला:-


यह घटना दिनांक 30-31.10.2022 की रात्री को घटित हुई थी, पुलिस ने इस मामले में अनुसंधान पूर्ण कर अभियोग पत्र दिनांक 28.11.2022 को प्रस्तुत किया था। अभियोजन के निवेदन पर इस मामले का शीघ्र निराकरण किया जाकर माननीय न्यायालय द्वारा आज चार माह 23 दिन बाद निर्णय पारित किया गया।


न्यायालय ने अपने निर्णय में उल्लेखित किया कि "इस प्रकरण के तथ्यों पर विचार किया जाए तो चिकित्सकीय साक्ष्य व अन्य साक्ष्य से यह स्पष्ट है कि अपराधी द्वारा अनुसूचित जनजाति की सदस्य 04 वर्षीय अल्प आयु व असहाय बालिका "पीडिता के साथ जबरदस्ती मैथुन भी बर्बरतापूर्वक किया गया था। पीडिता के शरीर के विभिन्न भागों पर चोंटे भी उक्त कृत्य करते समय कारित की थी और गला घोंटकर उसकी हत्या भी कारित की थी। आरोपी ने उक्त कार्य योजनाबद्ध रूप से निष्पादित किया। वह सर्वप्रथम अपने पूर्व परिचित अभियोक्त्री के परिजन के घर गया, खाट मांगी और तदापरांत सबके सोने का इंतजार किया और फिर अभियोक्त्री को उठाकर आम के बगीचे में ले गया और बलात्संग कर हत्या का प्रयास किया और साक्ष्य की विषय वस्तु अर्थात चार वर्षीय अबोध बालिका को मारकर कहीं ओर फेंक दिया। यह अभियोक्त्री की उत्कट इच्छा शक्ति एवं अदम्य जीजीविषा थी कि वह जीवित रही। अन्यथा आरोपी द्वारा अभियोक्त्री के हत्या के प्रयासों में कोई कमी नहीं थी। अतः उक्त विवेचनानुसार मात्र आजीवन कारावास का दण्डादेश पर्याप्त नहीं हो सकता है और 'मृत्यु दंड' ही आवश्यक है।


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