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20 May 2023

सबलगढ़ किले का गौरवशाली इतिहास बयां करता कई राजवंशों की कहानी


 सबलगढ़। मध्यकाल में बना सबलगढ़ का किला पहाड़ी के शिखर पर स्थित है। जिस पर कई राजवंशों का शासन रहा है। 16 वीं शताब्दी में करौली के महाराज गोपाल सिंह के दरबार में रहने वाले सबला सिंह गुर्जर ने किले की नींव रखी। जिसके नाम पर इस नगर का नाम सबलगढ़ पड़ा। लेकिन सबला सिंह अपने जीवन काल में इसका निर्माण पूरा नहीं कर पाए। बाद में करौली के तत्कालीन महाराजा गोपाल सिंह ने 18 वीं शताब्दी में इसे पूरा कराया था।


सबलगढ़ का यह किला मध्य प्रदेश के मुरैना से लगभग 60 किलोमीटर दूरी पर मुरैना जिले के सबलगढ़ नगर में एक पहाड़ी के शिखर पर स्थित है। सबलगढ़ किला एक मजबूत किला था शायद यही वजह रही कि इस पर जिसकी भी नजर पड़ी उसने इसे हासिल करने की कोशिश की। 17 वीं सदी में दिल्ली के शासक सिकंदर लोदी ने जब सबलगढ़ किले के बारे में जाना तो उन्होंने अपनी एक बड़ी सेना लेकर सबलगढ़ पर आक्रमण की योजना बनाई और इस किले को अपने नियंत्रण में ले लिया था। लेकिन कुछ समय बाद करौली के राजा ने मराठों की मदद से इस किले पर पुनः अधिकार कर लिया था। किले के पीछे सिंधिया काल में बना एक बांध है इसके अलावा इतिहासिक इमारतों में नवल सिंह की हवेली और कचहरी प्रमुख है। यह किला राजस्थानी शैली में बना है इसके तीन प्रमुख द्वार हैं सबलगढ़ किले को राज्य पुरातत्व विभाग के अधीन कर संरक्षित घोषित किया गया है पर्यटन विभाग भी इसे पर्यटकों के लिए विकसित करने पर जोर दे रहा है लेकिन सबलगढ़ का यह दुर्ग खंडहर हो रहा है किले की तरफ न तो पुरातत्व विभाग ध्यान दे रहा है और न ही राज्य सरकार।


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