समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक, सिद्धारमैया या डीके शिवकुमार के बीच ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले पर सहमति बन गई है। पहले सिद्धारमैया को मौका मिलेगा।कर्नाटक में 20 मई को शपथ ग्रहण समारोह हो सकता है। इसके लिए पार्टी के आला नेताओं के साथ ही गांधी परिवार के सदस्य बेंगलुरू पहुंच सकते हैं।बता दें, मुख्यमंत्री पद के लिए सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच रेस थी। बुधवार को खबर आई कि डीके शिवकुमार वरिष्ठ ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले पर तैयार हो गए हैं। हालांकि वो चाहते थे कि पहले उनको मौका मिले।
पार्टी आलाकमान को लगता है कि न तो सिद्धारमैया और न ही डीके अकेले शपथ ले सकते हैं। यह एक सामूहिक नेतृत्व है और शीर्ष नेतृत्व वन-मैन शो नहीं चाहता है।
भाजपा-कांग्रेस आमने-सामने
इससे पहले कांग्रेस ने कर्नाटक में मुख्यमंत्री का फैसला करने में देरी को लेकर भाजपा द्वारा आलोचना करने पर उस पर निशाना साधा और उदाहरणों का हवाला दिया जब भाजपा ने चुनाव में जीत के कई दिनों बाद उत्तर प्रदेश और असम में मुख्यमंत्री की घोषणा की।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया कि 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव के नतीजे 11 मार्च को आए। योगी को आठ दिन बाद 19 मार्च को सीएम नियुक्त किया गया। 2021 में असम विधानसभा चुनाव के नतीजे तीन मई को आए। हिमंता बिस्वा सरमा को सात दिन बाद यानी 10 मई को सीएम चुना गया। रमेश ने कहा कि ऐसे और भी कई उदाहरण हैं।उधर भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ट्विटर पर कहा कि सर्कस देखना चाहते हैं? कांग्रेस को कर्नाटक में अपना मुख्यमंत्री चुनते हुए देखें।
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