बच्चों की मां स्वाति ने बताया कि आज घर पर साड़ी के बने झूले में बच्चे झूल रहे थे और वह पानी भरने के लिए पड़ोस में गई थी। तभी अचानक बच्चों के चीखने की आवाज आई। जब घर पर जाकर देखा तो बच्चे चूल्हे में पड़े थे। जो चूल्हे की आग में झुलस गए। जिन्हें तत्काल ही जिला अस्पताल लेकर आये। जहां पर दोनों बच्चों का इलाज जारी है। दोनों मासूम बच्चे हरदुआ गांव निवासी अर्जुन ठाकुर के 4 माह की बेटी पल्लवी और 4 वर्ष का बेटा प्रिंस झूला झूल रहे थे और चूल्हे में गिरने से झुलस गए। दोनो भाई बहिन का इलाज जारी है।
02 May 2023

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साड़ी से बने झूला में झूला झूल रहे थे मासूम, जलते चूल्हे में गिरे
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MP24X7...यानी समय, सत्ता और समाज के बनाए हुए नियम के खिलाफ जाने का मतलब है। सही मायनों में सुधारवाद का वह पथ या रास्ता है। जो अंतिम माना जाता है, लेकिन हम इसे शुरुआत के रूप में ले रहे हैं। सार्थक शुरुआत कितनी कारगर साबित होगी? यह तो भविष्य तय करेगा। फिर भी हम ब्रह्मपथ पर चल पड़े हैं, क्योंकि यह अंतिम पथ नहीं है। सुधारवाद की दिशा में एक छोटा कदम है।.
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