श्री सिंह ने कहा कि देश में लगभग 1.5 करोड़ व्यापारी जीएसटी में पंजीकृत है और जीएसटी जमा करते है। इनमे से अधिकांश छोटे व्यापारी है जिनका वार्षिक टर्नओवर 1 करोड़ रुपए से कम है।
जीएसटीएन को मनी लांड्रिंग एक्ट के दायरे में लाकर प्रवर्तन निदेशालय (ED) को व्यापारियों की जांच एवं इन्हें गिरफ्तार करने का अधिकार दिया जाना वित्तीय आतंकवाद को जन्म देगा। इसे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा तथा यह व्यापारियों को प्रताड़ित करने का एक उपकरण बन जाएगा। व्यापारियों की छोटी सी भूल चूक भी उनके जेल जाने का कारण बन जाएगी। अधिकारियों द्वारा व्यापारियों को डराने धमकाने और उनसे अवैध वसूली करने की घटनाओं में वृद्धि होगी और लोगों को व्यापार करना मुश्किल हो जायेगा।
श्री सिंह ने इस विषय में शून्यकाल में चर्चा का नोटिस दिया है और सरकार से इस निर्णय को व्यापार और व्यापारियों के हित में तत्काल वापस लेने की मांग की है।
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