पेटलावद -- सर्व आदिवासी समाज ने केन्द्र सरकार की समान नागरिक संहिता को लागू करने का विरोध जताया है, और राष्ट्रपति के नाम पर एक ज्ञापन एसडीएम कार्यालय पर सौंपा है।
आदिवासी समाज का कहना है कि समान नागरिक संहिता लागू होने से आदिवासियों की अपनी परंपराओं के बदलने का खतरा बना हुआ है। सर्व आदिवासी समाज ने केन्द्र सरकार द्वारा लाये जा रहे समान नागरिक संहिता का विरोध जताया है और राष्ट्रपति के नाम एक पर ज्ञापन सौपा है। आदिवासी समाज ने अपने ज्ञापन में कहा कि समान नागरिक संहिता लागू हो जाने से आदिवासियों की अपनी परम्परा बदलने का खतरा बना हुआ है। इस दौरान आदिवासियों ने अपनी पुरातन, सामाजिक संस्कृति, अपने रीती-रिवाजों, समाज के भीतर तय कानूनों और संरक्षण की दिशा में लिए गए फैसलों में बदलाव की आशंका जाहिर की है।
भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा के धर्मेन्द्र डामोर ने बताया कि संविधान के विशेष प्रावधान के तहत आदिवासी समाज को विशेष सांस्कृतिक एवं सामाजिक अधिकार दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि देश में समानता के बगैर किसी भी समान नागरिक संहिता का आदिवासी समाज विरोध करता है। समान नागरिक सहिंता लागू होने पर आदिवासियों के अधिकारों में फर्क पड़ेगा। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि इन सभी की आड़ में आदिवासियों का हक और हितों पर हमले किए जा रहे हैं।
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