भोपाल।
मामा का राज - बच्चों पर गिरी गाज
एक बच्चा, छोटा बच्चा
आंत जिसकी पेट से चिपकी है
और जीवन जिसका सस्ता है
एक बच्चा, छोटा बच्चा
एक शिक्षक का स्कूल है उसका
जो ज़हरीला खाना परसता है
एक बच्चा, छोटा बच्चा
आंखों में जिसके सपना है
और दिन रात मजदूरी करता है
एक बच्ची, छोटी बच्ची
गुड़ियों-परियों की बातें करती है
10,000 में उसकी देह की बोली लगती है
ये बच्चे, छोटे बच्चे
सूनी आंखों से ‘मामा’ को तकते हैं
एक ‘मामा’, ऐसे ‘मामा’
जिनके मन में कंस और शकुनी बसते हैं !!!
जब मध्यप्रदेश के बच्चों को ये सूरत-ए-हाल है - तो शिवराज सिंह चौहान को ‘मामा’ कहलाने को कोई हक नहीं, लेश मात्र भी अधिकार नहीं । ये तो शिवराज जी ने स्वयं कहा कि ‘कुपोषण’ उनके माथे का कलंक है। मैं उन्हें याद दिलाना चाहती हूँ कि बच्चों के खिलाफ़ अपराध में 337% का उछाल भी उनके माथे का कलंक है, सबसे ज़्यादा शिशु मृत्यु दर भी उनके माथे का कलंक है, 7 लाख से ज़्यादा बाल मजदूर भी उनके माथे का कलंक है, हर तीन घंटे में 1 नाबालिग बच्ची का यौन शोषण भी उनके माथे का कलंक है, छोटी-छोटी बच्चियों के अपहरण और देह का बाज़ार भी उनके माथे का कलंक है।
और जब कोई इतना कलंकित हों ना शिवराज जी तो माथा ही नहीं पूरा मुँह काला हो जाता है!
आज शिवराज के जंगलराज में भांजे-भांजियों की दुर्दशा पर बात करते हैं…
बच्चों पर हुए अपराध ...
NCRB के आंकड़े देखें तो बच्चों के खिलाफ़ अपराध में शिवराज सिंह जी के कार्यकाल के दौरान 337% का उछाल आया है। 2011 में जहां 4,383 बच्चों के खिलाफ़ अपराध के मामले मध्यप्रदेश में दर्ज हुए, वो 2021 में बढ़ कर 19,173 हो गए।2021 में यौन शोषण, अपहरण, हत्या जैसे 52 जघन्य अपराध बच्चों पर रोज़ हुए हैं। यही नहीं POCSO के अंतरगत केस register होने के मामले में मध्यप्रदेश पूरे देश में 3 नम्बर पर है !!!
कुपोषण...
2009-2015 के बीच मध्यप्रदेश में 1 करोड़ 10 लाख बच्चे कुपोषित पाए गए। श्योपुर जिले में 116 बच्चों की कुपोषण से मौत हुई और कई अखबारों ने लिखा कि श्योपुर का इथोपिया है। उस समय ही चुल्लु भर पानी दिया जाना चाहिए था शिवराज सिंह को। अर्चना चिटनिस जी के विधानसभा में दिए गए जवाब के अनुसार जनवरी 2016 से 2018 तक करीब 57,000 बच्चों ने कुपोषण से दम तोड़ा। नेता विपक्ष गोविंद सिंह जी द्वारा विधानसभा में पूछे गए सवाल के जवाब में शिवराज सिंह ने खुद बताया कि इसी साल जनवरी से मार्च तक मध्यप्रदेश में 78,000 बच्चे कुपोषित पाए गए। पोषण ट्रैकर की रिपोर्ट का ज़िक्र तो मैं कई बार कर चुकी हूँ जिसके अनुसार 6 वर्ष तक की आयु के 66 लाख बच्चों में से 51% बच्चे कुपोषण के कारण बौने हैं।
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