आम तौर पर किसी भी विवाह में ढोल नगाड़े ,डीजे की धुन पर नाचते झूमते बाराती नजर आते हैं लेकिन बैतूल में एक ऐसी अनूठी शादी देखने मिली जिसमे वर वधु ने बिना किसी दिखावे के एक बड़ा सन्देश दिया और भारत के संविधान को साक्षी मानकर एक दूसरे का हाथ थामा । बैतूल के युवा वकील दर्शन बुंदेला और उनकी दुल्हन राजश्री बचपन के दोस्त हैं और दोनो जातिवाद के घोर विरोधी रहे हैं साथ ही इन दोनों की भारत के संविधान में गहरी आस्था है । इसी वजह से इन्होंने अपनी शादी में वरमाला से पहले भारत के संविधान की उद्देशिका का वाचन करवाया और संविधान को साक्षी मानकर वरमाला डाली ।
दर्शन बैतूल में वकालत करते हैं जबकि राजश्री हरदा जिले के एक सरकारी स्कूल में टीचर हैं । कॉलेज के दिनों से दोनो एकदूसरे को पसंद करते हैं जिसकी सबसे बड़ी वजह रही देश और संविधान को लेकर दोनो की एक जैसी विचारधारा । दोनो चाहते हैं कि देश की भावी पीढियां संविधान में निहित अपने अधिकारों को समझें और जातिवाद मुक्त समाज का निर्माण करें ।
इस शादी में जितने भी मेहमान आए थे उन सभी ने खड़े होकर संविधान की उद्देशिका का वाचन किया । मेहमानों ने दर्शन और राजश्री की इस पहल की सराहना की और उनके द्वारा दिये सन्देश को हर नागरिक के लिए ज़रूरी माना ।
संविधान को साक्षी मानकर विवाह करने का पहला मामला बैतूल में ही सामने आया था जब तीन साल पहले यहां पदस्थ मध्यप्रदेश कैडर की डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने मलेशिया में भारत के संविधान को साक्षी मानकर विवाह किया था । इस तरह के प्रयासों से ये तो माना जा सकता है कि भारत के युवा संविधान को लेकर जागरूक हैं और युवाओं का देश भारत बदल रहा है ।
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