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01 February 2023

फाइलेरिया रोग के उन्मूलन के लिए जन- सहभागिता बहुत जरुरीः प्रभु राम चौधरी

 भोपाल। मध्य प्रदेश, 1 फरवरी, 2023:  “फाइलेरिया रोग के उन्मूलन के लिए जन- सहभागिता बहुत ज़रूरी है। राज्य को इस रोग से मुक्त करने के लिए एक साथ मिशन मोड में कार्य करें।  ये उदगार, राज्य के स्वास्थ्य मंत्री प्रभु राम चौधरी ने भोपाल में
सामूहिक दवा सेवन (एमडीए/आईडीए) एवं फाइलेरिया एवं कालाजार रोग के सम्बन्ध में सिने कलाकार मनोज वाजपेयी द्वारा लोगों को ऑडियो- विज़ुअल के माध्यम से दिए गए कम्युनिकेशन कैंपेन के पैकेज के राज्य स्तरीय शुभारंभ कार्यक्रम में व्यक्त किये। 

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि फ़ाइलेरिया रोग का उन्मूलन ग़रीबी को कम कर सकता है, असमानता को दूर कर सकता है, स्वास्थ्य प्रणालियों को मज़बूत कर एक बेहतर समाज का निर्माण कर सकता है। स्वस्थ मध्य प्रदेश के लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार महत्वपूर्ण स्वास्थ्य एवं विकास लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु निरंतर प्रयत्नशील है। इसी क्रम में फाइलेरिया या हाथीपांव रोग से बचाने के लिए राज्य के 8  जिलों - कटनी, उमरिया, टीकमगढ़, निवाणी , दतिया में (2 दवाओं डीईसी, अल्बंडाजोल के साथ) एवं पन्ना, रीवा एवं छतरपुर में (3 दवाओं डीईसी, अल्बंडाजोल एवं  आईवरमेंक्टिन के साथ ) दिनांक 10 फरवरी से 22 फरवरी  तक सामूहिक दवा सेवन कार्यक्रम चलाया जाएगा।

स्वास्थ्य मंत्री ने सम्बंधित अधिकारियों को ये भी निर्देश दिए कि फाइलेरिया एवं कालाजार रोग के सम्बन्ध में सिने कलाकार मनोज वाजपेयी द्वारा लोगों को फाइलेरिया और कालाजार बीमारियों के सम्बन्ध में ऑडियो- विज़ुअल के माध्यम से दिए गए संदेशो को अंतर विभागीय समन्वय बनाकर प्रत्येक संभावित प्लेटफार्म द्वारा प्रसारित करवाया जाये ताकि जन- समुदाय में इन बीमारियों से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारियां पहुँच सकें। 

कार्यक्रम में उपस्थित राज्य के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के आयुक्त एवं सचिव स्वास्थ्य, डॉ. सुदम पंधारीनाथ खड़े ने कहा कि सामूहिक दवा सेवन के सफल किर्यन्वयन के लिए विकास खण्ड स्तर के प्रशिक्षण सुनिश्चित किये जाएं, माइक्रो प्लान को सम्बंधित जिलों के जन-प्रतिनिधियों और अधिकारियों के साथ साझा किये जाएँ ताकि कार्यक्रम के अंतर्गत समस्त गतिविधियों का सम्पादन सुचारू रूप से सम्पादित किया जा सके। इसके साथ ही फ़ाइलेरिया रोधी दवाओं की उपलब्धता के साथ ही लक्षित लाभार्थियों हेतु समुचित वितरण सुनिश्चित हो। 

इसके साथ ही राज्य में 5 फरवरी से 25 फरवरी तक शुरू होने वाली विकास यात्रा के दौरान फ़ाइलेरिया से सम्बंधित प्रचार- प्रसार सामग्री को यात्रा के दौरान चलने वाले मोबाइल रथों के माध्यम से लगों को दिखाया और सुनाया जाये ताकि इस रोग के बारे में लोगों में जागरूकता बढे।कार्यक्रम के दौरान किसी भी अपरिहार्य स्थिति से निपटने के लिए कॉल सेंटर और कण्ट्रोल रूम स्थापित किये जाएं।

मिशन निदेशक, प्रियंका दास ने कहा कि सामूहिक दवा सेवन कार्यक्रम में दवाओं का अभाव कभी नहीं था, केवल लोगों द्वारा इसके सेवन को सुनिश्चित करना एक चुनौती थी। इस चुनौती से निपटने के लिए इस बार हमने कार्यक्रम से लगभग 1 सप्ताह पहले ही लोगों को कम्युनिकेशन कैंपेन के माध्यम से और उपलब्ध अन्य प्रचार प्रसार सामग्री द्वारा जागरूक करना शुरू कर दिया है ताकि लोग इस रोग की गंभीरता को समझते हुए सामूहिक दवा सेवन कार्यक्रम के दौरान दवा सेवकों के सामने ही फ़ाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन सुनिश्चित करें।

राज्य सरकार पूरा प्रयास कर रही है कि इस कार्यक्रम के दौरान अंतर विभागीय समन्वय बनाकर कार्य किया जाये। इस बात के अथक प्रयास किये जा रहें हैं कि जिस प्रकार राज्य के 4 जिले फ़ाइलेरिया उन्मूलन के अंतिम पड़ाव पर  हैं उसी तरह अन्य 8 जिलें भी इस रोग के उन्मूलन की दिशा में अग्रसर हों।

राज्य कार्यक्रम अधिकारी, वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम, डॉ. हिमांशु जायसवार ने बताया कि फाइलेरिया मच्छर के काटने से फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार फाइलेरिया, दुनिया भर में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है। किसी भी आयु वर्ग  में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इससे बचाव न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है। फाइलेरिया के कारण चिरकालिक रोग जैसे हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन), लिम्फेडेमा (अंगों की सूजन) व काइलुरिया (दूधिया सफेद पेशाब) से ग्रसित लोगों को अक्सर सामाजिक बहिष्कार का बोझ सहना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है। 

सामूहिक दवा सेवन कार्यक्रम में उपरोक्त जिलों में लगभग 90 लाख 20 हज़ार से अधिक लक्षित जनसंख्या को 39 हज़ार 600 से अधिक दवा सेवक एवं सुपरवाइजर के माध्यम से बूथ पर एवं घर- घर जाकर फ़ाइलेरिया रोधी दवाएं अपने सामने खिलाये जायेंगी। दवाईयों का सेवन खाली पेट नहीं करना है।

कार्यक्रम के पहले 2 दिन बूथ पर दवाएं खिलाई जायेगी और उसके बाद 5 दिन घर- घर जाकर दवाएं खिलाई जायेगी, बचे हुए 3 दिनों में छूटे  हुए लोगों को दवाएं खिलवायी जायेगी। 

ये दवाएं 2 साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को नहीं दी जाएंगी।

इस अवसर पर राज्य स्तरीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों, उपरोक्त 8 जिलों एवं विकास खण्डों के अधिकारियों, सहयोगी संस्थाओ यथा विश्व स्वास्थ्य संगठन, ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज के प्रतिनिधियों और स्थानीय मीडिया सहयोगियों ने भी प्रतिभाग किया।

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