पंडित धीरेंद्र शास्त्री सुवासरा से सड़क मार्ग से रात करीब दो बजे अचानक नलखेड़ा पहुंचे और करीब 2 घण्टे से अधिक समय मन्दिर परिसर में बिताया। हालांकि मन्दिर में रात्री के चलते मुख्य गर्भगृह के पट बन्द होने से उन्होंने गर्भगृह के बाहर ही माता टेका और माता से आशीर्वाद लिया। मान्यता अनुसार पांडवकालीन यह माता मंदिर हवन अनुष्ठान से विजयश्री के आशीर्वाद के लिए देश विदेश में प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि यहां पर हवन अनुष्ठान करने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर हो जाती है। बाबा के अचानक पहुंचने के बावजूद बड़ी संख्या में भक्त उनके दर्शन के लिए उमड़ पड़े।
10 June 2023
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बागेश्रर सरकार ने किया बगुलामुखी में विशेष अनुष्ठान
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MP24X7...यानी समय, सत्ता और समाज के बनाए हुए नियम के खिलाफ जाने का मतलब है। सही मायनों में सुधारवाद का वह पथ या रास्ता है। जो अंतिम माना जाता है, लेकिन हम इसे शुरुआत के रूप में ले रहे हैं। सार्थक शुरुआत कितनी कारगर साबित होगी? यह तो भविष्य तय करेगा। फिर भी हम ब्रह्मपथ पर चल पड़े हैं, क्योंकि यह अंतिम पथ नहीं है। सुधारवाद की दिशा में एक छोटा कदम है।.
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