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16 September 2023

सिख नरसंहार करने वालों को उपकृत कर रही कांग्रेस


  भोपाल। कमलनाथ कहते हैं कि उनकी चार दशक की राजनीति में उन पर एक भी अरोप नहीं है। जबकि उनकी राजनीति दागदार है। छल, कपट, दुराचार से भरी हुई उनकी राजनीति उन असंख्य सरदारों के खून से सनी हुई है, जो 1984 के नरसंहार में मृत हुए थे। उन माताओं की चीख, उन अस्मत बचाती बहनों की पुकार अपनी जय-जयकार के शोर में कमलनाथ भुलाना चाहते हैं। यह बात प्रदेश सरकार के मंत्री श्री हरदीप सिंह डंग ने शनिवार को भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित पत्रकार-वार्ता संबोधित करते हुए कही। पत्रकार-वार्ता में प्रदेश प्रवक्ता श्री नरेंद्र सलूजा, श्री मिलन भार्गव, सुश्री नेहा बग्गा एवं मीडिया पैनलिस्ट श्री शिवम शुक्ला उपस्थित रहे। 


पहले सिखों को मारा, अब सनातन को खत्म करने का प्लान बना रहें हैं कमलनाथ

प्रदेश सरकार के मंत्री श्री हरदीप सिंह डंग ने कहा कि आज का दिन सिख समुदाय के लिए बहुत ही पवित्र दिन है। सिखों के पांचवें गुरू श्री अर्जन देव जी ने 1604 में आज ही के दिन दरबार साहिब में पहली बार गुरू ग्रंथ साहित का प्रकाश किया था। सिखों में जीवंत गुरू के रूप में मान्य श्री गुरू ग्रंथ साहिब केवल सिख कौम ही नहीं बल्कि समूची मानवता के लिए आदर्श व पथ प्रदर्शक हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा भी इसी सोच के साथ काम करती है। भाजपा भी सबका साथ, सबका विश्वास की बात करती है। हमारी सरकार में सर्वांगीण विकास के लक्ष्य पर कार्य होता था, हो रहा है और आगे भी होता रहेगा। हमारी सरकार में पक्षपात का कोई स्थान नहीं है। इसी की देन है कि पिछले 20 साल में मध्य प्रदेश ने न सिर्फ उन्नति की है बल्कि बीमारू राज्य का तमगा भी हट चुका है। उन्होंने कहा कि इन सबके बीच हम उनको भी नहीं भूल सकते, जिन्होंने मध्य प्रदेश का बुरा हाल कर रखा था। तुष्टीकरण की राजनीति में डूबे लोगों की सच्चाई भी आज जरूर दोहराई जानी चाहिए। सनातन पर वार करने वाले लोगों ने सिख समुदाय के साथ ही इसकी प्रकार का दुर्व्यवहार, अत्याचार किया था।


कमलनाथ के हाथ 84 के दंगों से सने हैं

मंत्री श्री डंग ने कहा कि आपको याद होगा कि कमलनाथ जब मुख्यमंत्री बनें तब उनका जमकर विरोध हुआ था। आखिर मुख्यमंत्री बनते ही किसी नेता ऐसा विरोध क्यो? यह विरोध था उस नासूर के लिए, जो 1984 को कमलनाथ ने दिया था, तब वह रकाबगंज गुरूद्वारे में भीड़ के साथ सिख नरसंहार में हिस्सेदारी कर रहे थे। उनके इशारों पर खूनी भीड़ कदमताल कर रही थी। खून और पानी में अंतर नहीं बचा था। प्रदेश सरकार के मंत्री श्री डंग ने कहा कि कमलनाथ के हाथ 84 के दंगों से सने हैं। यह तथ्य पत्रकार संजय सूरी की किताब 1984 - द एंटी सिख वॉयलेंस एंड आफ्टर में मौजूद है। सूरी ने अपनी आंखों देखी किताब में दर्ज किया है। उन्होंने लिखा है कि जब वह रकाबगंज गुरूद्वारे पहुंचे तो वहां उत्तेजित भीड़ थी, 2 सिखों को पहले ही जिंदा जलाया जा चुका था। भीड़ को उकसाने का काम कमलनाथ कर रहें थे। कमलनाथ खुद बताते हैं कि राजीव गांधी के कहने पर वह दंगों को शांत कराने गए थे, लेकिन सिखों के नरसंहार पर जांच के लिए बना जस्टिस नानावटी आयोग की टिप्पणी और चश्मदीदों के बयान तो यहीं इशारा करते हैं कि उनके हाथ खून से सने हैं। उन्होंने कहा कि इस नरसंहार में सज्जन सिंह और जगदीश टाईटलर का जो हाल हुआ है वही हाल जल्द ही कमलनाथ का होने वाला है।


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